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- Graphic Designer
- Nov 4
- 4 min read
Updated: Nov 15

गुरु नानक जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं !
गुरु नानक देव जी ने सिखाया —सच्चाई, सेवा और समानता ही जीवन का असली मार्ग है
“नाम जपो, कीरत करो, वंड छको”
यानी — प्रभु का नाम लो, ईमानदारी से काम करो, और जो मिले उसे दूसरों से बाँटो।
आओ, उनके दिखाए मार्ग पर चलें —प्यार, दया और सच्चाई के साथ 💫
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गुरु नानक देव जी के उपदेश – आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत 🌼
जब भी जीवन में अंधकार होता है, कोई न कोई प्रकाश हमें राह दिखाने आता है।
ऐसे ही एक प्रकाश पुंज थे गुरु नानक देव जी — जिन्होंने इंसानियत, समानता और सच्चाई का रास्ता दिखाया।
गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को तलवंडी (अब पाकिस्तान में ननकाना साहिब) में हुआ था।
उन्होंने अपने जीवन से यह सिखाया कि ईश्वर एक है, और हर इंसान उसी का रूप है।
आज जब समाज में भेदभाव, ईर्ष्या और स्वार्थ बढ़ते जा रहे हैं,
तो गुरु नानक देव जी के विचार पहले से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण हो जाते हैं।
उनकी शिक्षाएं सिर्फ धार्मिक नहीं थीं, बल्कि एक आदर्श समाज की नींव थीं —
जहां हर व्यक्ति बराबरी, प्रेम और सेवा के भाव से जीता है।
1. “एक ओंकार” – ईश्वर एक ही है
गुरु नानक देव जी ने कहा – “एक ओंकार सतनाम।”
इसका अर्थ है कि परमात्मा एक है और वही सब जगह विद्यमान है।
आज के दौर में जब लोग धर्म और जाति के नाम पर बंटे हुए हैं,
गुरु जी का यह संदेश हमें एकता का एहसास कराता है।
अगर हम हर व्यक्ति में वही ईश्वर देखें, तो समाज में नफरत की कोई जगह नहीं बचेगी।
2. “नाम जपो, कीरत करो, वंड छको” – जीवन का सरल सूत्र
गुरु नानक देव जी ने जीवन के तीन मूल मंत्र दिए:
नाम जपो (ईश्वर का स्मरण करो), कीरत करो (ईमानदारी से काम करो), और वंड छको (अपना हिस्सा बांटो)।
आज जब लोग प्रतिस्पर्धा और स्वार्थ में उलझे हैं,
यह संदेश हमें याद दिलाता है कि सच्ची खुशी दूसरों के साथ बांटने में है।
अगर हम अपने आसपास के लोगों की मदद करें — तो समाज में खुशहाली अपने आप आ जाएगी।
3. गुरु जी का नजरिया – औरतों के प्रति सम्मान
उस समय जब समाज में स्त्रियों को दोयम दर्जे का माना जाता था,
गुरु नानक देव जी ने कहा था —
“सो क्यों मंदा आखिए, जित जन्मे राजान।”
यानि — “उसे क्यों नीचा कहा जाए, जिससे राजा तक जन्म लेते हैं।”
यह वाक्य समाज में स्त्रियों की बराबरी और सम्मान का सबसे मजबूत संदेश देता है।
आज जब हम महिला सशक्तिकरण की बातें करते हैं,
गुरु जी की यह शिक्षा हर युग में प्रासंगिक है।
4. सच्चे कर्म से ही मोक्ष
गुरु नानक देव जी का मानना था कि पूजा या कर्मकांड से नहीं,
बल्कि सच्चे कर्म और सच्चे मन से ही मोक्ष प्राप्त होता है।
उन्होंने कहा –
“कर्म की बात कहै जन नानक, लिखे लेख न मिटै।”
मतलब, जैसा हम कर्म करते हैं, वैसा ही जीवन बनता है।
आज के समय में जब लोग shortcuts और दिखावे में विश्वास करने लगे हैं,
गुरु जी का यह संदेश हमें सच्चाई और परिश्रम की ओर लौटने को प्रेरित करता है।
5. सेवा – सबसे बड़ा धर्म
गुरु नानक देव जी ने ‘सेवा’ को सबसे बड़ा धर्म बताया।
उन्होंने कहा –
“सेवा करनी सबसे ऊंची साधना है।”
आज जब लोग अपनी जरूरतों में इतने व्यस्त हैं कि दूसरों की तकलीफों को देखना भूल जाते हैं,
गुरु जी की शिक्षा हमें याद दिलाती है कि इंसानियत सबसे पहले आती है।
अगर हर व्यक्ति थोड़ी-सी सेवा भावना रखे,
तो दुनिया से दुख और असमानता खुद-ब-खुद खत्म हो जाएगी।
6. पर्यावरण के प्रति संदेश
गुरु नानक देव जी ने प्रकृति को ईश्वर का रूप माना।
उन्होंने कहा था –
“पवण गुरु, पानी पिता, माता धरत महत।”
मतलब — “हवा गुरु है, पानी पिता है और धरती माता है।”
आज जब दुनिया प्रदूषण और पर्यावरण संकट से जूझ रही है,
तो गुरु जी का यह उपदेश हमारे लिए चेतावनी भी है और समाधान भी।
7. भाईचारा और समानता का संदेश
गुरु नानक देव जी ने किसी को ऊँचा या नीचा नहीं माना।
उन्होंने लंगर की परंपरा शुरू की —
जहां अमीर-गरीब, राजा-रंक, सभी एक साथ बैठकर भोजन करते हैं।
यह सिर्फ भोजन नहीं, बल्कि समानता का प्रतीक था।
आज के समय में जब समाज वर्गों में बंट गया है,
यह परंपरा हमें फिर से जोड़ने का काम कर सकती है।
8. आधुनिक जीवन में गुरु नानक देव जी का प्रभाव
गुरु नानक देव जी के उपदेश आज की हर समस्या का हल हैं।
चाहे बात तनाव की हो, सामाजिक असमानता की या जीवन में उद्देश्य की —
उनकी शिक्षाएं हमें सरल, संतुलित और प्रेमपूर्ण जीवन की दिशा दिखाती हैं।
अगर हम उनके तीन सिद्धांत —
नाम जपो, कीरत करो, वंड छको —
को जीवन में अपनाएं, तो न केवल हमारा जीवन बदलेगा,
बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक परिवर्तन आएगा।
निष्कर्ष :
गुरु नानक देव जी ने हमें सिखाया कि सच्चा धर्म किसी किताब या मंदिर में नहीं,
बल्कि हमारे कर्मों में बसता है।
उनकी शिक्षाएं कालजयी हैं —
जो हर युग में, हर समाज को सही दिशा देती हैं।
इस गुरु नानक जयंती पर आइए,
हम सब यह संकल्प लें कि हम अपने जीवन में उनके उपदेशों को अपनाएं —
ईमानदारी से काम करें, दूसरों के साथ प्रेम करें,
और समाज में समानता और सेवा की भावना जगाएं।
“गुरु वही जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए।”
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